Meri yatrayen = मेरी यात्रायें (Record no. 57663)
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008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION | |
fixed length control field | 230211b |||||||| |||| 00| 0 eng d |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9789389243192 |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 910.4 |
Item number | DIN |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Dinkar, Ramdhari Singh |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Meri yatrayen = मेरी यात्रायें |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Name of publisher, distributor, etc | Lokbharati Prakashan, |
Date of publication, distribution, etc | 1987. |
Place of publication, distribution, etc | Allahabad: |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | 191p.: |
Other physical details | hbk: |
Dimensions | 22cm. |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc | इस पुस्तक में पोलैंड, जर्मनी, चीन, मारीशस, कीनिया आदि देशों की यात्राओं का रोचक वर्णन है। दिनकर जी ने अपनी इन यात्राओं को जिस तरह रचनात्मक संवाद का विषय बनाया है, वह अपने प्रभाव में विलक्षण है। पुस्तक का हर अध्याय एक आत्मीयता के साथ सहज ही अपने बहाव में लिए चला जाता है। पोलैंड का वारसा नगर, जहाँ हिटलर के राज्यकाल में नाजियों द्वारा लाखों बेगुनाह मारे गए थे, वह अपने बदले समय में किस तरह राजनीतिक स्वतंत्रता, साहित्यिक-सांस्कृतिक उर्वरता का प्रतीक है; साथ ही अपने साम्यवादी देश की अर्थ-व्यवस्था के लिए आम नागरिकों में भी किस तरह की संघर्ष-चेतना है; दिनकर जी ने तटस्थ होकर आकलन प्रस्तुत किया है। ऐसा वे चीन की यात्रा के दौरान भी करते हैं। वहाँ भी उन्होंने एक साम्यवादी देश के समाज, साहित्य, राजनीति के साथ रहन-सहन, खान-पान, बोलचाल आदि को बहुत ही करीब से देखने-समझने की कोशिश की है और अन्तर्विरोधों के प्रति अपने बेबाक मंतव्यों से परिचय कराया है। इसी तरह जर्मनी, लंदन, कीनिया जैसे देशों के वर्तमान और अतीत का जो वृत्तान्त है, वह अपने वैज्ञानिक और दार्शनिक बोध में आज भी बेहद महत्त्वपूर्ण है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों से गए लोगों का अपने मूल और मूल्यों के प्रति श्रद्धा और आस्था किस तरह पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी हुई है, उसका गहन अन्वेषण दिनकर जी अपनी मारीशस यात्रा के दौरान करते हैं। कुल मिलाकर 'मेरी यात्राओँ' पुस्तक एक ऐसी थाती है जिसके जरिए बीसवीं सदी में कई देशों के उस यथार्थ से अवगत होते हैं, उन देशों के विकास में जिसकी निर्णायक भूमिका रही। चीन के बौद्ध लोग पश्चिमी स्वर्ग में विश्वास करते थे, जहाँ अमिताभ का न है । नए चीनियों का यह मत है कि वह पश्चिमी स्वर्ग भारत ही था । सुखावटी व्यूह के प्रचार के कारण ही चीन के बौद्ध लोग पश्चिमी स्वर्ग में विश्वास करने लगे । किन्तु, संस्कार यह बन गया कि चीन की जनता सभी अच्छी बातों को भारत से ही आई हुई समझने लगी ।.<br/><br/><br/>https://www.amazon.in/Meri-Yatrayen-Dinkar-Granthmala-Vol/dp/938924319X/ref=sr_1_1?crid=1ZR3LEQ6SQAHQ&keywords=9789389243192&qid=1676110448&sprefix=9789389243192%2Caps%2C187&sr=8-1 |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Hindi travelogue |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Hindi literature |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Item type | Hindi Books |
Withdrawn status | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Collection code | Home library | Current library | Date acquired | Source of acquisition | Cost, normal purchase price | Full call number | Barcode | Date last seen | Copy number | Cost, replacement price | Koha item type |
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Dewey Decimal Classification | General | IIT Gandhinagar | IIT Gandhinagar | 09/02/2023 | Himanshu Book | 0.00 | 910.4 DIN | 032785 | 09/02/2023 | 1 | 199.00 | Hindi Books |