Kala aur sanskriti = कला और संस्कृति

Agrawala, Vasudeva Sharan

Kala aur sanskriti = कला और संस्कृति - New Delhi: Lokbharti Prakashan, 2022. - 216p.; hbk; 22cm.

Including author introduction

कला और संस्कृति' समय-समय पर लिखे हुए मेरे कुछ निबन्धों का संग्रह है । 'संस्कृति' मानव जीवन की प्रेरक शक्ति और राष्ट्रीय जीवन की आवश्यकता है । वह मानवी जीवन को अध्यात्म प्रेरणा प्रदान करती है । उसे बुद्धि का कुतूहल मात्र नहीं कहा जा सकता । संस्कृति के विषय में भारतीय दृष्टिकोण की इस विशेषता को प्रस्तुत लेखों में विशद किया गया है । लोक का जो प्रत्यक्ष जीवन है उसको जाने बिना हम मानव जीवन को पूरी तरह नहीं समझ सकते । कारण भारतीय संस्कृति में सब भूतों में व्याप्त एक अन्तर्यामी अध्यात्म तत्व को जानने पर अधिक बल दिया गया है । हमारी संस्कृति उन समस्त रूपों का समुदाय है जिनकी सृष्टि ही मानवीय प्रयत्नों में यहॉ की गई है । उनकी उद्दात्त प्रेरणाओं को लेकर ही हमें आगे बढ़ना होगा । रथूल जीवन में संस्कृति की अभिव्यक्ति ‘कला' को जन्म देती है । कला का सम्बन्ध जीवन के मूर्त रूप से है । कला मानवीय जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है । वह कुछ व्यक्तियों के विलास साधन के लिए नहीं होती । वह शिक्षण, आनंद और अध्यात्म साधना के उद्देश्य से आगे बढ़ती है । इसी से जहाँ जो सौन्दर्य क्री परम्परा बची है उसे सहानुभूति के साथ समझ कर पुन: विकसित करना होगा । भारतीय कला न केवल रूप विधान की दृष्टि से समृद्ध है वरन् उसकी शब्दावली भी अत्यन्त विकसित है । समय रहते कला की पारिभाषिक शब्दावली की रक्षा करना भी हमारा आवश्यक कर्त्तव्य है । अन्त में यह कहा जा सकता है कि पूर्व मानव के जीवन में जो महत्त्व धर्म और अध्यात्म का था वही अपने वाले युग में कला और संस्कृति को प्राप्त होगा । - वासुदेवशरण अग्रवाल.

https://www.amazon.in/Kala-Sanskriti-Vasudev-Sharan-Agarwal/dp/9389243327

9789389243321


Hindi
Essay

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