TY - GEN AU - Narain, Kunwar TI - Bechain patton ka chorus = बेचैन पत्तों का कोरस SN - 9789387462601 U1 - 891.4337 PY - 2018/// CY - New Delhi PB - Rajkamal Prakashan KW - Hindi KW - Stories N1 - Includes authors introduction N2 - कुँवर नारायण उन अत्यल्प साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों में हैं जिन्होंने अपने लेखन में भारतीय और वैश्विक विचार, चिन्तन, संवेदना और सरोकारों से गहन संवाद किया है। यह संवाद किसी एक साहित्यिक विधा तक सीमित नहीं रहा। उनकी काव्येतर कृतियाँ इस बात की पुष्टि करती हैं। कुँवर नारायण ने जैसे विश्वस्तरीय कविताएँ लिखी हैं वैसे ही कहानियाँ भी। 'बेचैन पत्तों का कोरस' कुँवर नारायण का दूसरा कहानी-संग्रह है। पहला कहानी-संग्रह, 'आकारों के आसपास', सत्तर के दशक में आया था। अपनी असाधारण मौलिकता के चलते यह संग्रह ख़ासा ध्यानाकर्षक रहा। उस वक़्त रघुवीर सहाय, श्रीकान्त वर्मा, श्रीलाल शुक्ल, नेमिचन्द्र जैन जैसे साहित्यकारों ने इन कहानियों को सुखद आश्चर्य के साथ सराहा। वर्तमान समय के कथाकारों और समीक्षकों तक के लिए ये कहानियाँ निरन्तर आकर्षण और प्रेरणा का विषय बनी हुई हैं। इसी उपलब्धि का विस्तार हम इस दूसरे संकलन में पाते हैं, जो कि एक लम्बे अन्तराल के बाद आ रहा है। वर्तमान कथा-परिदृश्य को यह संकलन कई मानों में समृद्ध करेगा। इन कहानियों में अन्तर्वस्तु की विविधता ही नहीं, भाषा, संरचना और रूप का वैविध्य भी उत्कृष्टता का प्रमाण है। हर कहानी स्वयं में नई है और दूसरी से पृथक् भी। ये कहानियाँ औपचारिक और परम्परागत तरीक़े से अलग, कहानी विधा में प्रयोग और नवाचार हैं। बहुविधात्मक प्रभाव का सुन्दर समन्वय इन कहानियों को बहुस्तरीय बनाता है, और निबन्ध, संस्मरण, रेखाचित्र, चारित्रिकी, कविता आदि विधाओं की सम्मिलित शक्ति इन कहानियों के क्षितिज को विस्तृत करती है। https://rajkamalprakashan.com/bechain-patton-ka-chorus.html ER -