Magadh = मगध
Publication details: Rajkamal Prakashan, 2019. New Delhi:Edition: 5thDescription: 110p.; hbk; 23cmISBN:- 9788126720729
- 891.43371 VER
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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Hindi Books | IIT Gandhinagar | General | 891.43371 VER (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032567 |
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891.43371 VER Sandhini = सन्धिनी | 891.43371 VER Himalaya = हिमालय | 891.43371 VER Garud kisne dekha hai = गरुड़ किसने देखा है | 891.43371 VER Magadh = मगध | 891.4337109 YAD Ikkisvi sadi ki dahleez par aupnyasik dastak = इक्कीसवीं सदी की दहलीज़ पर औपन्यासिक दस्तक | 891.43372 ANM Pramey=प्रमेय | 891.434 MIS Hindi upanyas ek antaryatra = हिंदी उपन्यास एक अंतरयात्रा |
Includes authors introduction
श्रीकान्त वर्मा की लम्बी काव्य-यात्रा में उनका यह कविता-संग्रह एक ऐसा मोड़ है जिसमें उनकी ज़िन्दगी के पेचों-खम का असर व्याप्त है। श्रीकान्त वर्मा कभी कविता की दुनिया छोड़कर राजनीति में सक्रिय हुए थे किन्तु राजनीति से उनका मोहभंग जल्दी ही हो गया और फिर उनकी वापसी कविता की दुनिया में हुई। ‘मगध’ उनके इस परिवर्तन की परिणति है।
यह सच है कि मगध की कविताएँ इतिहास नहीं हैं मगर इसमें इतिहास के सम्मोहन और उसके भाषालोक की अद् भुत छटा है। ध्वस्त नगर एवं गणराज्य अतीत की कहानियाँ लिए हमारी स्मृतियों में कौंध जाते हैं अपने नायक और नायिकाओं के साथ। श्रीकान्त वर्मा की लेखनी का ऐसा चमत्कार ‘मगध’ में उभरता है कि ‘मगध’, ‘अवन्ती’, ‘कोशल’, ‘काशी’, ‘श्रावस्ती’, ‘चम्पा’, ‘मिथिला’ ‘कोसाम्बी’...मानो धूल में आकार लेते हैं और धूल में ही निराकार हो जाते हैं। कहते हैं कि मनुष्य की समग्र गाथा में महाकाव्य होता है, ‘मगध’ की कविताएँ उसी समग्रता और उसी महाकाव्य को प्रस्तुत करने का एक उपक्रम हैं।
ये कविताएँ काल की एक झाँकी हैं और महाकाल की स्तुति भी। ये कविताएँ अतीत का स्मरण हैं, वर्तमान से मुठभेड़ और भविष्य की झलक भी।
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