Garud kisne dekha hai = गरुड़ किसने देखा है
Publication details: Rajkamal Prakashan, 2019. New Delhi:Edition: 2ndDescription: 121p.; hbk; 23cmISBN:- 9789388933131
- 891.43371 VER
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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IIT Gandhinagar | General | 891.43371 VER (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032566 |
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891.43371 VER Yama = यामा | 891.43371 VER Sandhini = सन्धिनी | 891.43371 VER Himalaya = हिमालय | 891.43371 VER Garud kisne dekha hai = गरुड़ किसने देखा है | 891.43371 VER Magadh = मगध | 891.4337109 YAD Ikkisvi sadi ki dahleez par aupnyasik dastak = इक्कीसवीं सदी की दहलीज़ पर औपन्यासिक दस्तक | 891.43372 ANM Pramey=प्रमेय |
Includes authors introduction
गरुड़ किसने देखा है’ श्रीकान्त वर्मा का छठा काव्य-संग्रह है, जो उनके निधन के लगभग वर्ष-भर बाद प्रकाशित हो रहा है। उनका पिछला संग्रह ‘मगध’ कवि की संवेदना को जिस निर्णायक बिन्दु पर छोड़ गया था, प्रस्तुत संग्रह उसके बाद की रचनात्मक यात्रा का प्रामाणिक दस्तावेज़ है। यहाँ एक ही साथ एक कलात्मक परिणति तक पहुँचे हुए कवि की परिपक्वता भी मिलेगी और एक नए प्रस्थान की छटपटाहट भी। यहाँ तक आते-आते कवि का अनुभव-लोक नई भावभूमियों के संस्पर्श से और समृद्ध हुआ है और शायद इसी के चलते कवि की भाषा में एक नई सरलता आई है और एक पारदर्शी विनयशीलता भी, जो सिर्फ़ श्रेष्ठ कविता में पाई जाती है। इस संग्रह की कविताओं का एक छोर काशी को छूता है, दूसरा सुदूर पेरिस को और इस तरह बनता है कवि की रचनात्मक यात्रा का एक पूरा इतिहास और भूगोल—और दोनों अलग-अलग नहीं, बल्कि एक ही साथ।
प्रस्तुत संग्रह की कविताएँ बीसवीं शताब्दी के अँधेरे से निकलने की कोशिश से पैदा होनेवाली कविताएँ हैं। इसीलिए यहाँ केवल अतीत की पीड़ा और वर्तमान की कड़वाहट ही नहीं, ‘भविष्य को न भुला पाने’ की एक रचनात्मक तड़प भी है। मृत्यु के विरुद्ध लड़ते हुए कवि की इन कविताओं में जीवन का एक गहरा स्वीकार है और उसके प्रति एक सच्ची, पीड़ाभरी मानवीय ललक भी। यही बात ‘गरुड़ किसने देखा है’ को विशिष्ट बनाती है और सार्थक भी। कवि के ही शब्दों में—
कितना लुभावना कितना सरल
निरर्थक होते हुए भी सार्थक है
यह संसार।
https://rajkamalprakashan.com/garud-kisne-dekha-hai.html
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