Premchand: kalam ka sipahi = प्रेमचंद: कलम का सिपाही
Publication details: Hans Prakashan, 2021. Prayagraj:Description: 591p.; pbk; 22cmISBN:- 9789389742831
- 891.4309 RAI
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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IIT Gandhinagar | General | 891.4309 RAI (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032518 |
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891.4309 DIN Venuvan = वेणुवन | 891.4309 NAR Shabd aur deshkal = शब्द और देशकाल | 891.4309 NAR Kanshiram: bahujanon ke nayak = कांशीराम: बहुजनों के नायक | 891.4309 RAI Premchand: kalam ka sipahi = प्रेमचंद: कलम का सिपाही | 891.4309 SHI Hindi sahitya ka itihas: sutr aur vati =हिन्दी साहित्य का इतिहास: सूत्र और वति | 891.4309 SHU Hindi sahitya ka itihas = हिन्दी साहित्य का इतिहास | 891.4309 SIN Jeevan kya jiya: bate kuch apni, kuch apno ki= जीवन क्या जिया: बाते कुछ अपनी, कुछ अपना की |
Includes authors introduction
हिन्दी समाज द्वारा व्यापक रूप में स्वीकृत इस पुस्तक को मुंशी प्रेमचन्द की पहली और अपने आप में सम्पूर्ण जीवनी का दर्जा प्राप्त है। जीवनीकार प्रेमचन्द के पुत्र और ख्यात लेखक-कथाकार अमृतराय हैं। लेकिन उन्होंने यह जीवनी पुत्र होने के नाते नहीं, एक लेखक की निष्पक्षता के साथ लिखी है। हाँ, उनके नजदीक होने के चलते यह सुविधा उन्हें जरूर रही कि वे प्रेमचन्द के कुछ उन पक्षों को भी देख सके, जिससे यह जीवनी और समृद्ध हुई। लेखक से इतर एक पिता, पति, भाई और मित्र प्रेमचन्द के कई रूप हम इसी के चलते देख पाते हैं। लेकिन अमृतराय यहीं तक सीमित नहीं रहे। जीवनी को सम्पूर्ण रूप देने के लिए वे हर उस जगह गए जहाँ प्रेमचन्द कभी रहे थे, हर उस व्यक्ति से मिले जो या तो उनके सम्पर्क में रहा था, या उनसे पत्र-व्यवहार करता था। उन्होंने प्रेमचन्द की कलम से लिखी गई हिन्दी और उर्दू की पूरी सामग्री को भी पढ़ा और उनके जीवनकाल की राजनीतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि का भी विस्तार से अध्ययन किया।
प्रेमचन्द की इस जीवनी में हम उनकी कहानियों और उपन्यासों की रचना-प्रक्रिया के अलावा वे कब, किन परिस्थियों में लिखी गईं, यह भी जान पाते हैं, और प्रेमचन्द के व्यक्तित्व तथा जीवन के उन पहलुओं को भी जो कथाकार के रूप में उनकी अथाह ख्याति के पीछे छिपे हुए हैं।
https://rajkamalprakashan.com/premchand-kalam-ka-sipahi.html
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