Prashna aur marichika = प्रश्न और मरीचिका

By: Publication details: Rajkamal Paperbacks, 2019. New Delhi:Edition: 5thDescription: 442p.; hbk; 23cmISBN:
  • 99788126705764
Subject(s): DDC classification:
  • 891.433 VER
Summary: ‘भूले-बिसरे चित्र’ और ‘सीधी सच्ची बातें’ के बाद भगवती बाबू की एक और बृहद् औपन्यासिक कृति...भारत के निकट अतीत के इतिहास को कथा के माध्यम से प्रस्तुत-विश्लेषित करने का एक साहसपूर्ण प्रयोग। इस उपन्यास में लेखक ने जिस ज्वलन्‍त प्रश्न को वाणी दी है, वह आज हर भारतीय के मन में घुमड़ रहा है। वह प्रश्न है कि क्यों अपनी अगाध जन-शक्ति और प्रचुर भौतिक साधनों के होते हुए भी भारत एक शक्तिशाली देश नहीं बन पाया। लेखक ने गहराई में जाकर इस समस्या का कारण भी खोज निकाला है और निष्कर्ष दिया है—हर ओर फैले स्वार्थ और भ्रष्टाचार को देखते हुए भी जो लोग यह आशा करते हैं कि कोई स्वच्छ शासन-तंत्र देश को पुनरुत्थान की ओर ले जाएगा, वे मरीचिका के पीछे भटक रहे हैं। किन्‍तु भाग्यवादी होते हुए भी लेखक देश के भविष्य के प्रति निराश नहीं है। गीता के उपदेशों पर विश्वास करते हुए उसका कहना है कि वर्तमान व्यवस्था के नष्ट होने के बाद एक नए भारत का जन्म होगा। इसके अलावा हमारी वर्तमान समस्याओं का और कोई समाधान नहीं है। प्रश्न और मरीचिका आज़ादी के बाद से 1962 तक के भारत का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है। https://rajkamalprakashan.com/prashna-aur-marichika.html
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Hindi Books Hindi Books IIT Gandhinagar General 891.433 VER (Browse shelf(Opens below)) 1 Available 032510

Includes author introduction

‘भूले-बिसरे चित्र’ और ‘सीधी सच्ची बातें’ के बाद भगवती बाबू की एक और बृहद् औपन्यासिक कृति...भारत के निकट अतीत के इतिहास को कथा के माध्यम से प्रस्तुत-विश्लेषित करने का एक साहसपूर्ण प्रयोग।

इस उपन्यास में लेखक ने जिस ज्वलन्‍त प्रश्न को वाणी दी है, वह आज हर भारतीय के मन में घुमड़ रहा है। वह प्रश्न है कि क्यों अपनी अगाध जन-शक्ति और प्रचुर भौतिक साधनों के होते हुए भी भारत एक शक्तिशाली देश नहीं बन पाया।

लेखक ने गहराई में जाकर इस समस्या का कारण भी खोज निकाला है और निष्कर्ष दिया है—हर ओर फैले स्वार्थ और भ्रष्टाचार को देखते हुए भी जो लोग यह आशा करते हैं कि कोई स्वच्छ शासन-तंत्र देश को पुनरुत्थान की ओर ले जाएगा, वे मरीचिका के पीछे भटक रहे हैं।

किन्‍तु भाग्यवादी होते हुए भी लेखक देश के भविष्य के प्रति निराश नहीं है। गीता के उपदेशों पर विश्वास करते हुए उसका कहना है कि वर्तमान व्यवस्था के नष्ट होने के बाद एक नए भारत का जन्म होगा। इसके अलावा हमारी वर्तमान समस्याओं का और कोई समाधान नहीं है।

प्रश्न और मरीचिका आज़ादी के बाद से 1962 तक के भारत का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है।

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