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Chaturbhani = चतुर्भाणी

By: Contributor(s): Publication details: Rajkamal Prakashan, 2020. New Delhi:Description: 451p.; pbk; 24cmISBN:
  • 9789389577914
Subject(s): DDC classification:
  • 891.43271  AGR
Summary: 'चतुर्भाणी’ एक विलक्षण क्लैसिक है : मूल में बोलचाल की संस्कृत और लोक-जीवन की छटाओं का रोचक और नाटकीय इज़हार है और अनुवाद में बनारसी बोली का चटपटा रस-भाव। बरसों पहले ब.व. कारन्त ने उज्जैन के कालिदास समारोह के लिए 'चतुर्भाणी’ की रंग-प्रस्तुति की थी। डॉ. मोतीचन्द्र द्वारा अनूदित और डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा विस्तार से समझाई गई इस कृति को नए संस्करण में प्रस्तुत करते हुए हमें गहरा सन्‍तोष है। भारतीय परम्परा की दुर्व्याख्या के इस अभागे समय में यह कृति याद दिलाती है कि हमारी परम्परा में कैसी रसिकता और लोक-जीवन का उन्मुक्त रचाव रहा है जो कहीं से भी किसी संकीर्णता में बाँधा नहीं जा सकता।
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Hindi Books Hindi Books IIT Gandhinagar General 891.43271 AGR (Browse shelf(Opens below)) 1 Available 032504

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'चतुर्भाणी’ एक विलक्षण क्लैसिक है : मूल में बोलचाल की संस्कृत और लोक-जीवन की छटाओं का रोचक और नाटकीय इज़हार है और अनुवाद में बनारसी बोली का चटपटा रस-भाव। बरसों पहले ब.व. कारन्त ने उज्जैन के कालिदास समारोह के लिए 'चतुर्भाणी’ की रंग-प्रस्तुति की थी। डॉ. मोतीचन्द्र द्वारा अनूदित और डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा विस्तार से समझाई गई इस कृति को नए संस्करण में प्रस्तुत करते हुए हमें गहरा सन्‍तोष है। भारतीय परम्परा की दुर्व्याख्या के इस अभागे समय में यह कृति याद दिलाती है कि हमारी परम्परा में कैसी रसिकता और लोक-जीवन का उन्मुक्त रचाव रहा है जो कहीं से भी किसी संकीर्णता में बाँधा नहीं जा सकता।

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