Pratinidhi kavitayein: Badri Narayan = प्रतिनिधि कवितायें: बद्री नारायण
Publication details: Rajkamal Paperbacks, 2022. New Delhi:Description: 141p.; pbk; 18cmISBN:- 978939393768582
- 891.43371 NAR
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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Hindi Books | IIT Gandhinagar | General | 891.43371 NAR (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032494 |
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891.43371 NAR In dino = इन दिनों | 891.43371 NAR Chakravayuh = चक्रव्यूह | 891.43371 NAR Tumadi ke shabd = तुमड़ी के शब्द | 891.43371 NAR Pratinidhi kavitayein: Badri Narayan = प्रतिनिधि कवितायें: बद्री नारायण | 891.43371 NAR Sach sune kai din huye = सच सुने कई दिन हुए | 891.43371 PAN Gramya = ग्राम्या | 891.43371 PAN Gunjan = गुंजन |
Includes author introduction
छोटे शहरों के रचनाकारों के बड़े केन्द्रों में उत्प्रवास और उनके मनोजगत में केन्द्र के सर्वग्रासी प्रसार और आधिपत्य के इस भयावह दौर में बद्री नारायण की कविता गुलाब के बरक्स कुकुरमुत्ते के बिम्ब को रचने वाली काव्य-परम्परा का विस्तार है। यह एक ऐसा समय है जब केन्द्र अपने अभिमत का उत्पादन ही नहीं कर रहा है, उसका प्रसार भी कर रहा है। वह कुछ हद तक अपनी मान्यताओं से अलग दिखती धारणाओं और काव्य-भंगिमाओं को भी लील जाने को आतुर है। इसलिए कोई भी अन्य काव्य-भंगिमा उसके लिए असहनीय हो गई है। वह तर्क से या कुतर्क से उसे ख़ारिज कर देने पर आमादा है। यह समय कविता-परिदृश्य के आन्तरिक जनतंत्र को बचाने के कठिन संघर्ष का समय है। बद्री की कविता वस्तुतः जनतांत्रिक समय में एक संवादी नागरिक होने की इच्छा की कविता है।
उनकी कविता भारतीय समाज के निम्नवर्ग के ऐसे मिथकों, आख्यानों और इतिहास के अलक्षित सन्दर्भों के पास जाती है जिनमें उनकी पीड़ाएँ, अवसाद और संघर्ष की अदीठ रह गई गाथाएँ छिपी हैं। बद्री की कविता में वर्चस्वशाली शक्तियों द्वारा स्वीकृति प्राप्त कर चुके प्रचलित मिथक लगभग नहीं हैं। अप्रचलित मिथकीय आख्यानों का पुनर्पाठ करने की कोशिश भी यहाँ नहीं है। इन कविताओं में तो ऐसी जातियों और मानव समूहों के अपने आख्यानों और जन-इतिहासों के चरित्र और गाथाएँ हैं जो उत्पादन की गतिविधियों से जुड़े होने के बावजूद समाज की परिधि पर नारकीय जीवन जीने को अभिशप्त हैं। बद्री की कविता उन बहुसंख्य मानव समूहों के सपनों, आकांक्षाओं, उनकी कमज़ोरियों और उनकी शक्ति का भाष्य तैयार करती है। वस्तुतः कवि का काव्य-व्यवहार ही इस कविता की राजनीति का साक्ष्य है ।
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