Pratinidhi kavitayen = प्रतिनिधि कविताये
Publication details: Rajkamal Prakashan, 2021. New Delhi:Edition: 9thDescription: 162p.; pbk; 18cmISBN:- 9788171789634
- 891.43371 SAH
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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IIT Gandhinagar | General | 891.43371 SAH (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032437 |
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891.43371 PRA Lahar = लहर | 891.43371 PRA Kamayani (upanyas) = कामायनी (उपन्यास ) | 891.43371 RAM Hariyanvi yogsutra = हरियाणवी योगसूत्र | 891.43371 SAH Pratinidhi kavitayen = प्रतिनिधि कविताये | 891.43371 SAH Kuch pate, kuch citthiyan = कुछ पते, कुछ चिट्ठियां | 891.43371 SAR Girte sambhalte = गिरते सम्भलते | 891.43371 SAR Kuch thahre thahre se hain pal =कुछ ठहरे ठहरे सें हैं पल |
Includes author introduction
‘आज़ादी’ मिली। देश में 'लोकतंत्र’ आया। लेकिन इस लोकतंत्र के पिछले पाँच दशकों में उसका सर्जन करनेवाले मतदाता का जीवन लगभग असम्भव हो गया। रघुवीर सहाय भारतीय लोकतंत्र की विसंगतियों के बीच मरते हुए इसी बहुसंख्यक मतदाता के प्रतिनिधि कवि हैं, और इस मतदाता की जीवन-स्थितियों की ख़बर देनेवाली कविताएँ उनकी प्रतिनिधि कविताएँ हैं।
रघुवीर सहाय का ऐतिहासिक योगदान यह भी है कि उन्होंने कविता के लिए सर्वथा नए विषय-क्षेत्रों की तलाश की और उसे नई भाषा में लिखा। इन कविताओं को पढ़ते हुए आप महसूस करेंगे कि उन्होंने ऐसे ठिकानों पर काव्यवस्तु देखी है जो दूसरे कवियों के लिए सपाट और निरा गद्यमय हो सकती है। इस तरह उन्होंने जटिल होते हुए कवि-कर्म को सरल बनाया। परिणाम हुआ कि आज के नए कवियों ने उनके रास्ते पर सबसे अधिक चलने की कोशिश की।
रघुवीर सहाय की कविताओं से गुजरना देश के उन दूरदराज़ इलाक़ों से गुज़रना है जहाँ आदमी से एक दर्जा नीचे का समाज असंगठित राजनीति का अभिशाप झेल रहा है।
https://rajkamalprakashan.com/pratinidhi-kavitayen-raghuvir-sahay.html
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