Aawazon ke ghere = आवाज़ों के घेरे
Publication details: Rajkamal Prakashan, 2022. New Delhi:Edition: 10thDescription: 87p.; hbk; 23cmISBN:- 9788126705191
- 891.43371 KUM
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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IIT Gandhinagar | General | 891.43371 KUM (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032425 |
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891.43371 JOS Do panktiyon ke beech = दो पंक्तियों के बीच | 891.43371 KAM Main wo shankh mahashankh = मैं वो शंख महाशंख | 891.43371 KAM Meri priya kahaniyaan = मेरी प्रिय कहानियाँ | 891.43371 KUM Aawazon ke ghere = आवाज़ों के घेरे | 891.43371 KUM Saaye mein dhoop = साये में धूप | 891.43371 KUM Surya ka swagat = सूर्य का स्वागत | 891.43371 MEH Sampoorna kavitayen: Shrinaresh Mehta Vol. (1-2) = सम्पूर्ण कविताएँ: श्रीनरेश मेहता (1-2) |
Includes authors introduction
अपने आप से, अपने परिवेश और व्यवस्था से नाराज़ कवि के रूप में दुष्यन्त कुमार की कविताएँ हिन्दी का एक आवश्यक हिस्सा बन चुकी हैं। आठवें दशक के मध्य और उत्तरार्ध में अपनी धारदार रचनाओं के लिए बहुचर्चित दुष्यन्त जिस आग में होम हुए, उसे उनकी रचनाओं में लम्बे समय तक महसूस किया जाता रहेगा।
‘आवाज़ों के घेरे’ दुष्यन्त कुमार का एक ज़रूरी कविता-संग्रह है। इसमें धुआँ-धुआँ होती उस शख़्सियत को साफ़ तौर पर पहचाना जा सकता है, जिसे दुष्यन्त कहा जाता है। समग्रत: ये विरोध की कविताएँ हैं लेकिन रचनात्मक स्तर पर कवि का यह विरोध व्यवस्था से अधिक अपने आप से है, जहाँ व्यक्ति न होकर वह एक वर्ग है—मुट्ठियों को बाँधता और खोलता। बाँधना, जो उसकी ज़रूरत है और खोलना, मजबूरी। एक प्रकार की निरर्थकता और ठहराव का जो बोध इन कविताओं में है, वह सार्थक और गतिशील होने की गहरी छटपटाहट से भरा हुआ है। स्पष्टत: कवि का यही द्वन्द्व और छटपटाहट इन कविताओं का रचनाधाय है, जिसे सहज और सार्थक अभिव्यक्ति मिली है।
दुष्यन्त लय के कवि हैं, इसलिए मुक्तछन्द होकर भी ये कविताएँ छन्दमुक्त नहीं हैं। साथ ही यहाँ उनके कुछ गीत भी हैं और बाद में सामने आई बेहतरीन ग़ज़लों की आहटें भी। संक्षेप में, यह संग्रह दुष्यन्त की असमय समाप्त हो गई काव्य-यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है।
https://rajkamalprakashan.com/aawazon-ke-ghere.html
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