Ugratara = उग्रतारा
Publication details: Rajkamal Paperbacks: 2016. New Delhi:Edition: 4thDescription: 115p.; pbk; 22cmISBN:- 9788126713301
- 891.433 NAG
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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Hindi Books | IIT Gandhinagar | General | 891.433 NAG (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032416 |
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891.433 NAG Ratinath ki chachi = रतिनाथ की चाची | 891.433 NAG Balchanma = बलचनमा | 891.433 NAG Varun ke bete = वरुण के बेटे | 891.433 NAG Ugratara = उग्रतारा | 891.433 PAN Shivani ke katha sahitya mein nari chitran = शिवानी के कथा साहित्य में नारी चित्रण | 891.433 PAR Tat ki khoj = तट की खोज | 891.433 PRA Titli = तितली |
Includes author introduction
नागार्जुन के कथा-चरित्र साधारण होकर भी हमारे समाज के बहुत ही असाधारण हिस्से होते हैं। वे अपने समय और समाज के उन बुनियादी जीवनादर्शों को मूर्तिमान करते हैं, जिनके बारे में जन-साधारण सिर्फ़ सोचते रह जाते हैं और चाहकर भी अपनी चेतना के बंजर में कोई निर्णायक बूटा नहीं उगा पाते। नागार्जुन की ‘उग्रतारा’ ऐसे ही लोगों को राह दिखाती है। नारी होकर भी वह सामाजिक जड़ताओं से ऊपर है, यही कारण है कि उग्रतारा का अयाचित मातृत्व भी न तो उसे स्वार्थी बना पाता है और न ही कुंठित कर छोड़ता है। वस्तुतः इसमें एक नारी के प्रेम, बेबसी, विशाल-हृदयता और उसके अकुंठ जीवन-संघर्ष का मर्मस्पर्शी चित्रण हुआ है। जीवन के निर्णायक क्षणों में उसकी यथार्थपरक दृष्टि हमें अभिभूत कर लेती है।
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