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Aansoo = आँसू

By: Publication details: Lokbharti Prakashan: Allahabad: 2022.Description: 78p.; pbk; 18cmISBN:
  • 9789352211371
Subject(s): DDC classification:
  • 891.43371 PRA
Summary: आँसू जयशंकर प्रसाद की एक विशिष्ट रचना है। इसका प्रथम संस्करण 1925 ई. में साहित्य - सदन, चिरगाँव, झाँसी से प्रकाशित हुआ था। द्वितीय संस्करण 1933 ई. में भारती भण्डार, प्रयाग से प्रकाशित हुआ। रचनाकाल 'आँसू' का रचनाकाल लगभग 1923 - 24 ई. है। कहा जाता है पहले कवि का विचार इसे 'कामायनी' के अंतर्गत ही प्रस्तुत करने का था, किंतु अधिक गीतिमयता के कारण तथा प्रबन्ध काव्य के अधिक अनुरूप न होने के कारण उसने यह विचार त्याग दिया। संस्करणों में अंतर 'आँसू' के दोनों संस्करणों में पर्याप्त अंतर है। प्रथम संस्करण में केवल 126 छन्द थे। उसका स्वर अतिशय निराशापूर्ण था। उसे एक दु:खान्त रचना कहा जायगा। नवीन संस्करण में कवि ने कई संशोधन किये। छन्दों की संख्या 190 हो गयी और उसमें एक आशा-विश्वास का स्वर प्रतिपादित किया गया। कतिपय छन्दों की रूप रेखा में भी कवि ने परिवर्तन किया और छन्दों को इस क्रम से रखा गया कि उससे एक कथा का आभास मिल सके। कथा तत्व 'आँसू' एक श्रेष्ठ गीतसृष्टि है, जिसमें प्रसाद की व्यक्तिगत जीवनानुभूति का प्रकाशन हुआ है। अनेक प्रयत्नों के बावजूद इस काव्य की प्रेरणा के विषय में निश्चित रूप से कहना कठिन है, किंतु इतना निर्विवाद है कि इसके मूल में कोई प्रेम-कथा अवश्य है। 'आँसू' में प्रत्यक्ष रीति से कवि ने अपने प्रिय के समक्ष निवेदन किया है। कवि के व्यक्तित्व का जितना मार्मिक प्रकाशन इस काव्य में हुआ है उतना अन्यन्न नहीं दिखाई देता। For More info., Contact on this no. 9456483713 https://www.amazon.in/Aansu-Jaishankar-Prasad/dp/B09DYJXV5S
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Hindi Books Hindi Books IIT Gandhinagar General 891.43371 PRA (Browse shelf(Opens below)) 1 Available 032224

Includes authors introduction.

आँसू जयशंकर प्रसाद की एक विशिष्ट रचना है। इसका प्रथम संस्करण 1925 ई. में साहित्य - सदन, चिरगाँव, झाँसी से प्रकाशित हुआ था। द्वितीय संस्करण 1933 ई. में भारती भण्डार, प्रयाग से प्रकाशित हुआ। रचनाकाल 'आँसू' का रचनाकाल लगभग 1923 - 24 ई. है। कहा जाता है पहले कवि का विचार इसे 'कामायनी' के अंतर्गत ही प्रस्तुत करने का था, किंतु अधिक गीतिमयता के कारण तथा प्रबन्ध काव्य के अधिक अनुरूप न होने के कारण उसने यह विचार त्याग दिया। संस्करणों में अंतर 'आँसू' के दोनों संस्करणों में पर्याप्त अंतर है। प्रथम संस्करण में केवल 126 छन्द थे। उसका स्वर अतिशय निराशापूर्ण था। उसे एक दु:खान्त रचना कहा जायगा। नवीन संस्करण में कवि ने कई संशोधन किये। छन्दों की संख्या 190 हो गयी और उसमें एक आशा-विश्वास का स्वर प्रतिपादित किया गया। कतिपय छन्दों की रूप रेखा में भी कवि ने परिवर्तन किया और छन्दों को इस क्रम से रखा गया कि उससे एक कथा का आभास मिल सके। कथा तत्व 'आँसू' एक श्रेष्ठ गीतसृष्टि है, जिसमें प्रसाद की व्यक्तिगत जीवनानुभूति का प्रकाशन हुआ है। अनेक प्रयत्नों के बावजूद इस काव्य की प्रेरणा के विषय में निश्चित रूप से कहना कठिन है, किंतु इतना निर्विवाद है कि इसके मूल में कोई प्रेम-कथा अवश्य है। 'आँसू' में प्रत्यक्ष रीति से कवि ने अपने प्रिय के समक्ष निवेदन किया है। कवि के व्यक्तित्व का जितना मार्मिक प्रकाशन इस काव्य में हुआ है उतना अन्यन्न नहीं दिखाई देता। For More info., Contact on this no. 9456483713

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