Tulsi: aadhunik vatayan se = तुलसी: आधुनिक वातायन से
Publication details: Delhi: Radhakrisha Prakashan, 2021.Description: 343p. hbk: 22cmISBN:- 9788183610834
- 891.431 MEG
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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IIT Gandhinagar | General | 891.431 MEG (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 033090 |
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891.431 GUL Boli rangoli=बोली रंगोली | 891.431 GUL Duniya meri=दुनिया मेरी | 891.431 KAM Hindustani ghzalen = हिन्दुस्तानी ग़ज़लें | 891.431 MEG Tulsi: aadhunik vatayan se = तुलसी: आधुनिक वातायन से | 891.431 NAR Atmajayee = आत्मजयी | 891.431 NAR Vajashrava ke bahane: वाजश्रवा के बहाने | 891.431 NAR Koi doosra naheen = कोई दूसरा नहीं |
तुलसी के युग, समाज, जीवन, व्यक्तित्व, कृतित्व का आधुनिक समुद्र मन्थन । बेहद चौंकानेवाले नतीजे निकले क्योंकि सुदीर्घ मध्यकाल की सर्वांगीणता का अधिग्रहण करनेवाला यह एकल कृति सन्तभक्त के रूप में पूजित तथा वर्णाश्रम प्रतिपादक और नारी-शूद्र- निन्दक के रूपों में लांछित भी है। तथापि दर्पण के साथ दीपकवाली अन्तीक्षा से 'तुलसी कोड' का विचित्र उद्घाटन बेहद चकित करता है। क्योंकि वे समन्वय तथा कलिकाल-संग्राम, दोनों में साथ-साथ जूझे और आत्मोत्तीर्ण हुए। अन्ततोगत्वा लाछनों को धोकर वे इहलौकिक, यथार्थोन्मुख, त्रासदकरुण एवं सहज होते जाते हैं। • सुदीर्घ मध्यकाल के सुपरिंगठन के द्वन्द्वात्मक शुक्ल-श्याम आयामों में उन्होंने मध्ययुग का मिथकीयकरण, पौराणिक चेतना का मध्यकालीनीकरण, सामन्तीय ऐश्वर्य का कृषकीयकरण तथा धर्म-दर्शन- साहित्य का तुलसीयकरण करके इन चतुरंग दिशाओं में एक नए संसार को ही प्रकाशित कर डाला। हमने भी आधुनिकताबोध एवं समाजविज्ञानों के समकालीन औजारों से इसकी पुनर्निभिति की है। इससे इस महासत्य का भी विस्फोट होता है कि पाँच-छह शताब्दियों से वे अविराम आगे ही बढ़ते जा रहे हैं-अपने सभी अन्तर्विरोधों एवं विरोधाभासों के साथ-साथ। भला क्यों?
क्योंकि उत्तर यह है कि दिव्य सौन्दर्यबोध (लीला), कृषक- सौन्दर्यबोधशास्त्र (प्रीति), विविध काव्य-धर्मसूत्र ( भक्ति), मिथक-आलेखकारी (चरितपावन) के शास्त्रेतर मार्ग भी बनाते हुए तुलसी बाबा ने विरासत में उथल-पुथल मचाकर यश-अपयश कमा डाला।
तुलसी पर ऐसी अनुसंधानपरक और आलोचिंतनात्मक कृतियाँ सचमुच नगण्य हैं जो कालिदास के बाद के इस महत्-महान कृती का निरपेक्ष, निर्भीक तथा बिन्दास और बहुविध प्रस्तुतीकरण करें।
https://www.pustak.org/index.php/books/bookdetails/13652/Tulsi%20:%20Aadhunik%20Vatayan%20Se/#freeread
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