Thodi si jagah = थोड़ी सी जगह
Publication details: Rajkamal Prakshan, 2019. New Delhi:Description: 155p.; hbk; 23cmISBN:- 9788171191703
- 891.43371 VAJ
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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IIT Gandhinagar | General | 891.43371 VAJ (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032287 |
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891.43371 VAJ Punarvasu = पुनर्वसु | 891.43371 VAJ Samay ke pass samay = समय के पास समय | 891.43371 VAJ Tatpurush = तत्पुरुष | 891.43371 VAJ Thodi si jagah = थोड़ी सी जगह | 891.43371 VER Sandhyageet = सांध्यगीत | 891.43371 VER Yama = यामा | 891.43371 VER Sandhini = सन्धिनी |
includes authors introduction
अशोक वाजपेयी हिन्दी के समकालीन कवियों में उन थोड़े-से लोगों में से हैं जिन्होंने अपने समय में प्रेम की सघनता, उत्कृष्टता और महिमा को लगातार अपनी कविता के केन्द्र में बनाए रखा है। एक ऐसे समय में जब रति और शृंगार के पारम्परिक सौन्दर्य-मूल्य कविता के दृश्य से ग़ायब ही हो गए हैं, अशोक वाजपेयी ने उन्हीं को अपनी कविता में सबसे अधिक जगह दी है। उनकी प्रेम कविता में जो ऐन्द्रिकता है, वह परम्परा को पुनराविष्कृत करती है और साथ ही उसे समकालीन आँच और लपक भी देती है। प्रेम की अनेक सूक्ष्मताएँ खड़ी बोली में इन कविताओं के माध्यम से पहली बार कविता के परिसर में प्रवेश करती हैं।
प्रेम में, अशोक वाजपेयी के कविता-संसार में भरा-पूरापन है, रसिकता और प्रयास है। उसमें जीवन से भागकर कहीं और नहीं, बल्कि इसी अच्छी-बुरी दुनिया में अपने लिए थोड़ी-सी जगह पाने की दुर्लभ ज़िद है।
कविता में प्रेम करना या कि प्रेम की कविता करना अशोक वाजपेयी की अदम्य जिजीविषा का ही प्रमाण है। यह स्पन्दन और ऊष्मा की पुस्तक है : प्रेम के स्पन्दन, जीवन और भाषा की ऊष्मा की पुस्तक।
https://rajkamalprakashan.com/thodi-si-jagah-hard-cover.html
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