Naye yug mein shatru = नए युग में शत्रु
Publication details: Rajkamal Prakshan, 2013. New Delhi:Description: 115p.; hbk; 23cmISBN:- 9788183613866
- 891.43371 DAB
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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IIT Gandhinagar | General | 891.43371 DAB (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032273 |
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891.43371 BAL Abhivyakti: maa ki madhurima = अभिव्यक्ति: माँ की मधुरिमा | 891.43371 CHA Pratinidhi kahaniyan = प्रतिनिधि कहानियां | 891.43371 DAB Hum jo dekhate hain = हम जो देखते हैं | 891.43371 DAB Naye yug mein shatru = नए युग में शत्रु | 891.43371 DAB Pahar per laltain = पहाड़ पर लालटेन | 891.43371 DEV Aag har cheez mein batai gayi thi = आग हर चीज़ में बताई गई थी | 891.43371 DEV Ujar mein sangrahalaya = उजाड़ में संग्रहालय |
Includes author introduction
एक बेगाने और असन्तुलित दौर में मंगलेश डबराल अपनी नई कविताओं के साथ प्रस्तुत हैं—अपने शत्रु को साथ लिए। बारह साल के अन्तराल से आए इस संग्रह का शीर्षक चार ही लफ़्ज़ों में सब कुछ बता देता है : उनकी कला-दृष्टि, उनका राजनीतिक पता-ठिकाना, उनके अन्तःकरण का आयतन।
यह इस समय हिन्दी की सर्वाधिक समकालीन और विश्वसनीय कविता है। भारतीय समाज में पिछले दो-ढाई दशक के फासिस्ट उभार, साम्प्रदायिक राजनीति और पूँजी के नृशंस आक्रमण से जर्जर हो चुके लोकतंत्र के अहवाल यहाँ मौजूद हैं और इसके बरक्स एक सौन्दर्य-चेतस कलाकार की उधेड़बुन का पारदर्शी आकलन भी। ये इक्कीसवीं सदी से आँख मिलाती हुई वे कविताएँ हैं जिन्होंने बीसवीं सदी को देखा है। ये नए में मुखरित नए को भी परखती हैं और उसमें बदस्तूर जारी पुरातन को भी जानती हैं। हिन्दी कविता में वर्तमान सदी की शुरुआत ही ‘गुजरात के मृतक का बयान’ से होती है।
https://rajkamalprakashan.com/naye-yug-mein-shatru.html
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