Batein hain baton ka kya: batkahiyan kathakar ki = बातें हैं बातों का क्या: बतकहियां कथाकार की
Publication details: Rajkamal Prakashan, 2022. New Delhi:Description: 191p.; hbk; 23cmISBN:- 9789392757549
- 891.3405060826 SIN
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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IIT Gandhinagar | General | 891.3405060826 SIN (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032217 |
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891.3 SVA Life of Padma, Vol. 1 | 891.3 SVA Life of Padma, Vol. 2 | 891.3405060826 NAR Tat par hun par tatastha nahin: Kuwar Narain ki bhent varta = तट पर हूँ पर तटस्थ नहीं: कुँवर नारायण की भेंट-वार्ता | 891.3405060826 SIN Batein hain baton ka kya: batkahiyan kathakar ki = बातें हैं बातों का क्या: बतकहियां कथाकार की | 891.3405060826 VAJ Anyatra = अन्यत्र | 891.4 CHA In stereotype: South Asia in the global literary imaginary | 891.4 DUT Who's who of Indian writers: 1999, Vol. 1 (A-M) |
Includes authors introduction.
पिछले पचास साल की हिन्दी कहानी में अनेक बड़े लेखकों के साथ जिन कहानीकारों का नाम अग्रणी रहा और जिन्हें पाठकों ने लगातार पसन्द किया उनमें काशीनाथ सिंह प्रमुख हैं। काशीनाथ सिंह अपने लेखन के लिए लोक से ऊर्जा ग्रहण करते हैं। वे जीवन का महत्त्व समझने वाले कथाकार हैं। सीधी-सच्ची बात कहने के लिए कला की कृत्रिमता उन्हें कभी पसन्द न आई और तभी उनकी कलम से काशी का अस्सी जैसी कालजयी कृति भी सम्भव हुई। लेखक के संसार को जानने-समझने के लिए ही नहीं वरन् उसकी कला के रहस्य को भी समझने के लिए उससे किए गए संवादों का महत्त्व है। काशीनाथ सिंह से समय-समय पर किए गए संवादों के इस संग्रह को वस्तुत: बतकही की संज्ञा अधिक समीचीन होगी क्योंकि काशीनाथ सिंह उस लोक के कथाकार हैं जो विचारों की आवाजाही में विश्वास रखता है। यहाँ संकलित लगभग दो दर्जन संवाद काशीनाथ सिंह के व्यक्तित्व और उनके सृजन सरोकारों को उजागर करने वाले हैं। विचारधारा, राजनीति और समाज की व्यापक बहसें और सवाल इन संवादों को धार देते हैं तो गद्य की कला का मर्म भी इन संवादों को उल्लेखनीय बनाता है। उनके लेखन के उत्तरार्ध में आई अनेक कृतियों यथा रेहन पर रग्घू, महुआ चरित और उपसंहार पर यहाँ अनेक संवाद हुए हैं।
इन सबसे अलहदा और ऊपर है बनारस की बोली-बानी में काशीनाथ सिंह की बतकही। सीधी-सच्ची बातें और न हुआ तो दरेरा देकर कह देने का आत्मविश्वास। यह बतकही हमारे संवादहीनता से भरे समय में आत्मीय गपशप का विरल सुख है। इस गपशप में कथाकार अपने साथ पाठक को वैसे ही साथ लिए बैठा है जैसे गाँव में बर्फीली हवाओं में अलाव तापते हुए लोग सुख-दुःख की बात करते हैं। आइए, इस बतकही में शामिल होते हैं और बातों का आनन्द लेते हैं।
https://rajkamalprakashan.com/batein-hain-baton-ka-kya.html
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