Oh America ! = ओह अमेरिका !
Publication details: New Delhi: Vani Prakashan, 2018.Edition: 3rd edDescription: 72p.: ill; pbk: 22cmISBN:- 9788181433121
- 891.432 SIN
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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IIT Gandhinagar | General | 891.432 SIN (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 033167 |
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891.43172 SHA Man manthan = मन मंथन | 891.43172 SHA Man manthan = मन मंथन | 891.432 SIN Samrat Ashok = सम्राट अशोक | 891.432 SIN Oh America ! = ओह अमेरिका ! | 891.432 SIN Saadar aapka = सादर आपका | 891.432009 KAM Jange-azadi = जंगे आज़ादी | 891.43209 UPA Sur Tulsi sahitya vimarsh = सूरतुलसी साहित्यिक विमर्श |
अभी हाल ही में 'इतिहास - चक्र' को मंचस्थ किया था। एक बार फिर कान पकड़े और नाटकों की मंच - प्रस्तुति से दूर रहने की वह शपथ जो हर बार हर नाटक की मंच प्रस्तुति के बाद ग्रहण रहता था दोहराई । हर बार नाटक की तैयारी, पूर्वाभ्यास और मंच - प्रस्तुति के दौरान जो कटुता, हताशा, निराशा, तिक्तता, चिन्ता, झुंझलाहट आक्रोश, खीझ अनुभव होती थी, उसकी पुनरावृत्ति एक बार फिर हुई । यह अनुभव मेरा अपना अकेला, नहीं है। इस अनुभव से प्रत्येक अव्यावसायिक रंगकर्मी - निर्देशक तथा निर्माता को गुजरना पड़ता है । यह अनुभव अव्यावसायिक रंगमंच का अनिवार्य अंग है । इस असहनीय परिस्थिति में भी अव्यावसायिक संस्थायें नाटक मंचित करती हैं- यह तथ्य अपने आप में एक उपलब्धि है, चाहे नाटक का स्तर कैसा ही हो। इसके लिऐ व्यक्ति नहीं, व्यवस्था उत्तरदायी है।
नाटक के चुनाव के पश्चात ही बाधाओं, समस्याओं और अवरोधों का एक सिलसिला शुरु हो जाता है । पूर्वाभ्यास के लिए स्थान, प्रश्नचिन्ह बनकर पहले उभरता है। लाखों रुपये लगाकर, सरकार ने तथा सेठाश्रित संस्थाओं ने प्रेक्षागृहों का तो निर्माण करवा दिया है ( वह भी केवल महानगरों में) किन्तु केवल कुछ हजार लगाकर पूर्वाभ्यास कक्षों के निर्माण का ख्याल किसी को नहीं आया। इसके फलस्वरूप नाट्य मंडलियों को पूर्वाभ्यास के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध नहीं होता । विवश होकर किसी स्कूल के कमरे में, किसी दफ्तर में - फाइलों, आफिस फर्नीचर के बीच, गर्मियों में किसी मकान की छत पर पूर्वाभ्यास करना पड़ता है ।
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