Jaise unke din phire = जैसे उनके दिन फिरे

By: Publication details: Bharatiya Jnanpith, 2020. New Delhi:Edition: 20th edDescription: 112p.; pbk; 18cmSubject(s): DDC classification:
  • 891.43871 PAR
Summary: जैसे उनके दिन फिरे - 'जैसे उनके दिन फिरे' की ये कहानियाँ—हरिशंकर परसाई की मात्र हास्य कहानियाँ नहीं हैं—यों हँसी इन्हें पढ़ते-पढ़ते अवश्य आ जायेगी, पर पीछे जो मन में बचेगा, वह गुदगुदी नहीं, चुभन होगी। मनोरंजन प्रासंगिक है, वह लेखक का उद्देश्य नहीं। उद्देश्य है—युग के समाज का, उसकी बहुविध विसंगतियों, अन्तर्विरोधों, विकृतियों और मिथ्याचारों का उद्घाटन। परसाई जी की इन कहानियों में हँसी से बढ़कर जीवन की तीखी आलोचना है। चेतना को झकझोर देनेवाला व्यंग्य और मन को तिलमिला देनेवाली व्यंजना तो पाठक को इन कहानियों में मिलेगी ही, साथ ही वे सब दृश्य, चेहरे और हालात, जो बहुत पास होकर भी अनदेखे रह जाते हैं, उनके सामने प्रकट हो उठेंगे। प्रस्तुत है पुस्तक का नया संस्करण। https://www.amazon.in/-/hi/HARISHANKAR-PARSAI/dp/B01JCRJVI8
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Hindi Books Hindi Books IIT Gandhinagar General 891.43871 PAR (Browse shelf(Opens below)) 1 Available 032340

जैसे उनके दिन फिरे - 'जैसे उनके दिन फिरे' की ये कहानियाँ—हरिशंकर परसाई की मात्र हास्य कहानियाँ नहीं हैं—यों हँसी इन्हें पढ़ते-पढ़ते अवश्य आ जायेगी, पर पीछे जो मन में बचेगा, वह गुदगुदी नहीं, चुभन होगी। मनोरंजन प्रासंगिक है, वह लेखक का उद्देश्य नहीं। उद्देश्य है—युग के समाज का, उसकी बहुविध विसंगतियों, अन्तर्विरोधों, विकृतियों और मिथ्याचारों का उद्घाटन। परसाई जी की इन कहानियों में हँसी से बढ़कर जीवन की तीखी आलोचना है। चेतना को झकझोर देनेवाला व्यंग्य और मन को तिलमिला देनेवाली व्यंजना तो पाठक को इन कहानियों में मिलेगी ही, साथ ही वे सब दृश्य, चेहरे और हालात, जो बहुत पास होकर भी अनदेखे रह जाते हैं, उनके सामने प्रकट हो उठेंगे। प्रस्तुत है पुस्तक का नया संस्करण।

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