Wahi baat = वही बात
Publication details: Rajkamal Prakashan, 2022 New Delhi:Description: 86p.; hbk; 23cmISBN:- 9788126708895
- 891.433 KAM
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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Hindi Books | IIT Gandhinagar | General | 891.433 KAM (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032175 |
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891.433 KAM Anbita vyatit = अनबीता व्यतीत | 891.433 KAM Laute huye musafir = लौटे हुए मुसाफिर | 891.433 KAM Pati-patani aur woh = पति-पत्नी और वह | 891.433 KAM Wahi baat = वही बात | 891.433 KAM Sindhi ki chuni hui kahaniyaan = सिंधी की चुनी हुई कहानियाँ | 891.433 KAM Ek sadak sattavan galiyan = एक सड़क सत्तावन गलियाँ | 891.433 KAM Samudra mein khoya hua aadmi = समुद्र में खोया हुआ आदमी |
Includes authors introduction
इस उपन्यास में एक नए दृष्टिकोण से कहानी को उठाया गया है। उपन्यास के केन्द्र में महत्त्वाकांक्षी पति और उसकी पत्नी का द्वन्द्व है। वह पत्नी लगातार दमित महसूस करती है। पति के तबादले के बाद पत्नी का एकान्त निरन्तर गहरा होता जाता है। ऐसी अवस्था में भावनावश वह पत्नी अपने उस एकान्त को ख़त्म कर लेती है। वह एक साहसिक फ़ैसला लेती है, और फिर तलाक़ हो जाता है। उसके बाद वह दोबारा विवाह करती है और पहला पति अपनी महत्त्वाकांक्षाओं की दुनिया में लौट जाता है। इस कथा-सूत्र को लेकर चलनेवाले इस उपन्यास में स्त्री की इच्छा-शक्ति और पुरुष की महत्त्वाकांक्षा के द्वन्द्व को बड़ी गहराई से पहचाना गया है।
कथा की परिणति में जो दूसरा रास्ता पत्नी ने निकाला है, उसे एक नवीन नारी-क्रान्ति की संज्ञा दी जा सकती है। यहाँ स्त्री की भावना को दमित न रखने का एक कोण भी सामने आता है। यदि वह उपेक्षित और अकेलापन महसूस करती है तो इसकी दोषी निश्चित तौर पर पुरुष की महत्त्वाकांक्षा ही है, ऐसी हालत में स्त्री को क्या अपना ख़ालीपन भर लेने की आज़ादी नहीं होनी चाहिए?
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