Mitti ki oar = मिट्टी की ओर
Publication details: Lokbharti Prakashan, 2022 Pragyaraj:Description: 168p. hbk; 20cmISBN:- 9788180314155
- 891.43471 DIN
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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IIT Gandhinagar | General | 891.43471 DIN (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032064 |
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891.43471 AGR Kala aur sanskriti = कला और संस्कृति | 891.43471 DIN Reti ke phool = रेती के फूल | 891.43471 DIN Vivah ki museebaten = विवाह की मुसीबतें | 891.43471 DIN Mitti ki oar = मिट्टी की ओर | 891.43471 DIN Kavya ki bhumika = काव्य की भूमिका | 891.43471 DIN Rashtrabhasha aur rashtriya ekta = राष्ट्र-भाषा और राष्ट्रीय एकता | 891.43471 DIN Bhartiya ekta = भारतीय एकता |
प्रस्तुत निबन्ध-संग्रह में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के चौदह आलोचनात्मक निबन्ध संगृहीत हैं जो वर्तमान हिन्दी साहित्य के विषय पर लिखे गए हैं। राष्ट्रकवि ने इस निबन्ध-संग्रह में ‘इतिहास के दृष्टिकोण से’, ‘दृश्य और अदृश्य का सेतु कला में सोद्देश्यता का प्रश्न’, ‘हिन्दी कविता पर अशक्तता का दोष’, ‘वर्तमान कविता की प्रेरक शक्तियाँ’, ‘समकालीन सत्य से कविता का वियोग’, ‘हिन्दी कविता और छन्द’, ‘प्रगतिवाद’, ‘समकालीनता की व्याख्या’, ‘काव्य समीक्षा का दिशा-निर्देश’, ‘साहित्य और राजनीति’, ‘खड़ी बोली का प्रतिनिधि कवि’, ‘बलिशाला ही हो मधुशाला’, ‘कवि श्री सियारामशरण गुप्त’, ‘तुम घर कब आओगे कवि’ इत्यादि विचारोत्तेजक निबन्ध संगृहीत हैं। आशा है नए कलेवर में यह संग्रह पाठकों को अवश्य पसन्द आएगा।
https://rajkamalprakashan.com/mitti-ki-oar.html
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