Sahityamukhi = साहित्यमुखी
Publication details: Lokbharti Prakashan, 2019 Allahabad:Description: 199p. hbk; 20cmISBN:- 9789388211925
- 891.4309 DIN
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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IIT Gandhinagar | General | 891.4309 DIN (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032050 |
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891.4309 BHU Madhyakalin hindi sahitya ka itihas =मध्यकालीन हिंदी साहित्य का इतिहास | 891.4309 CHA Bhupen Khakhkhar: ek antrang sansmaran = भूपेन खख्खर: एक अंतरंग संस्मरण | 891.4309 CHA Bura waqt achchhe log = बुरा वक्त अच्छे लोग | 891.4309 DIN Sahityamukhi = साहित्यमुखी | 891.4309 DIN Sansmaran aur shradhanjaliyan = संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ | 891.4309 DIN Venuvan = वेणुवन | 891.4309 NAR Shabd aur deshkal = शब्द और देशकाल |
साहित्य में निबन्धों की अपनी एक विशिष्ट क़िस्म की प्रमुखता रही है। यही कारण है कि गद्य की इस तार्किक और बौद्धिक विवेचना वाली विधा में हिन्दी के कालजयी साहित्यकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के निबन्ध अपने उद्देश्य में आज भी ऐतिहासिक महत्त्व रखते हैं।
‘साहित्यमुखी’ साहित्य की विभिन्न विधाओं और समस्याओं को समर्पित चिन्तनपूर्ण निबन्धों का संग्रहणीय श्रेष्ठ संकलन है जिसमें शामिल कई निबन्ध दिनकर के ओजस्वी वक्ता होने के प्रमाण और मिसाल हैं।
इन पठनीय और मननीय निबन्धों में प्रस्तुत हैं–‘आधुनिकता और भारत-धर्म’, ‘कविता में परिवेश और मूल्य’, ‘आधुनिकता का वरण’, ‘साहित्य में आधुनिकता’, ‘युद्ध और कविता’ जिन पर दिनकर के चिन्तन-जन्य विचार हैं तो वहीं गांधी, निराला, केशवसुत, टाल्स्टाय, शेक्सपियर और इलियट के प्रति आदरांजलि के साथ विचारोत्तेजक निबन्ध ‘शीर्षकमुक्त चिन्तन’ भी संकलित है।
‘साहित्यमुखी’ दिनकर की एक विशिष्ट विचारप्रधान कृति है।
https://rajkamalprakashan.com/sahityamukhi.html
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