Koyla aur kavitwa = कोयला और कवित्व
Publication details: Lokbharti Prakashan, 2019 Allahabad:Description: 120p. hbk; 20cmISBN:- 9789389243826
- 891.43171 DIN
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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Hindi Books | IIT Gandhinagar | General | 891.43171 DIN (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032044 |
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891.43171 ANA Tokri mein digant: theri gatha: 2014 = टोकरी में दिगन्त: थेरी गाथा : 2014 | 891.43171 DEV Patthar ki bench = पत्थर की बेंच | 891.43171 DIN Kavishree = कविश्री | 891.43171 DIN Koyla aur kavitwa = कोयला और कवित्व | 891.43171 DIN Mritti-tilak = मृत्ति-तिलक | 891.43171 DIN Neem ke patte = नीम के पत्ते | 891.43171 DIN Pran-bhang tatha anya kavitayen = प्रण-भंग और अन्य कविताएँ |
कोयला और कवित्व' में रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की सन् साठ के बाद रची गई ऐसी कविताएँ हैं जो अपने आधुनिकता-बोध में पारदर्शी तो हैं ही, कला-विन्यास का श्रेष्ठ उदाहरण भी हैं।
इस संग्रह में संकलित है एक विदुषी को लिखा गया कवि का गीत-पत्र–'कला फलाशा से युक्त होती है या वियुक्त और कोयले का उत्पादन बढ़ाने को यदि गीत लिखे जाएँ तो कैसा रहे?' यह गीत-पत्र मात्र पत्र नहीं, कवि के गहन चिन्तन का दस्तावेज़ भी है। और यह चिन्तन-ज़मीन अपनी सम्पूर्णता में इस संग्रह को विशिष्ट भी बनाती है, हमें अपने वर्तमान से जोड़ती भी है।
'कोयला और कवित्व' में संकलित कविताएँ अपने आकार में बहुत बड़ी न होकर भी अपनी प्रकृति में बहुत बड़ी हैं। एक बड़े कालखंड से जुड़ी ये कविताएँ परम्परा और अन्तर्विरोधों से गुज़रते हुए जिस संवाद का निर्वाह करती हैं, वह बहुत बड़ी सृजनात्मकता का प्रतीक है।
हमारे मन और मस्तिष्क को उद्वेलित करनेवाली ये कविताएँ संग्रहणीय भी हैं, और अविस्मरणीय भी।
https://rajkamalprakashan.com/koyla-aur-kavitwa.html
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