Kavishree = कविश्री
Publication details: Lokbharti Paperbacks, 2019 Allahabad:Description: 72p. hbk; 20cmISBN:- 9789389243819
- 891.43171 DIN
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode |
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IIT Gandhinagar | General | 891.43171 DIN (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 032043 |
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891.4317 VER Nirja = नीरजा | 891.43171 ANA Tokri mein digant: theri gatha: 2014 = टोकरी में दिगन्त: थेरी गाथा : 2014 | 891.43171 DEV Patthar ki bench = पत्थर की बेंच | 891.43171 DIN Kavishree = कविश्री | 891.43171 DIN Koyla aur kavitwa = कोयला और कवित्व | 891.43171 DIN Mritti-tilak = मृत्ति-तिलक | 891.43171 DIN Neem ke patte = नीम के पत्ते |
कविश्री' रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ओजस्वी कविताओं का संग्रह है। कविताओं में प्रखर राष्ट्रवाद, प्रकृति के प्रति उत्कट प्रेम एवं मानव-कल्याण-कामना की मंगल-भावना के दर्शन होते हैं।
'कविश्री' में संगृहीत हैं दिनकर जी की 'हिमालय के प्रति', 'प्रभाती', 'व्याल विजय' एवं 'नया मनुष्य' जैसी प्रसिद्ध प्रदीर्घ कविताएँ, जो हिन्दी काव्य-साहित्य की अमूल्य निधि हैं।
दिनकर का काव्य-व्यक्तित्व जिस दौर में निर्मित हुआ, वह राजसत्ता और शोषण के विरुद्ध हर मोर्चे पर संघर्ष का दौर था। इसलिए 'कविश्री' में संकलित रचनाओं को पढ़ना भारतीय स्वाधीनता-संग्राम में साहित्य के योगदान से भी परिचित होना है।
अपने ऐतिहासिक महत्त्व के कारण पाठकों के लिए एक संग्रहणीय और अविस्मरणीय संग्रह।
https://rajkamalprakashan.com/kavishree.html
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