Ishwar ki adhyakshata mei = ईश्वर की अध्यक्षता में (Record no. 57902)

MARC details
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9788171788347
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number 891.43371
Item number JAG
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Jagudi, Leeladhar
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Ishwar ki adhyakshata mei = ईश्वर की अध्यक्षता में
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Name of publisher, distributor, etc Rajkamal Prakshan,
Date of publication, distribution, etc 2017.
Place of publication, distribution, etc New Delhi:
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 127p.;
Other physical details hbk;
Dimensions 23cm.
504 ## - BIBLIOGRAPHY, ETC. NOTE
Bibliography, etc Includes authors introduction
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc ‘ईश्वर की अध्यक्षता में’ संग्रह जीवन और अनुभव के अप्रत्याशित विस्तारों में जाने की एक उत्कट कोशिश है। पिछले चार दशकों से अपने काव्य-वैविध्य, भाषिक प्रयोगशीलता के कारण जगूड़ी की कविता हमेशा अपने समय में उपस्थित रही है और उसमें समकालीनता का इतिहास दर्ज होता दिखता है। समय और समकाल, भौतिक और आधिभौतिक, प्रकृति और बाज़ार, मिथक और टेक्नोलॉजी, दृश्य और अदृश्य, पृथ्वी और उसमें मौजूद कीड़े तक का अस्तित्व उनकी कविता में परस्पर आते-जाते, हस्तक्षेप करते, खलबली मचाते, उलट-पुलट करते एक ऐसे विस्मयकारी लोक की रचना करते हैं जिसे देखकर पहला आश्चर्य तो यही होता है कि कहाँ कितने स्तरों पर कैसा जीवन सम्भव है, उसमें कितने ही आयाम हैं और कभी-कभी तो एक ही जीवन कई नए-नए रूपों की, नई-नई अभिव्यक्तियों की माँग करता दिखता है। अनेक बार एक अनुभव एक से अधिक अनुभवों की शक्ल में आता है और जगूड़ी की कोशिशें यह बतलाती हैं कि अनुभवों की ही तरह भाषा भी एक अनंत उपस्थिति है।<br/><br/>इसीलिए ‘ईश्वर की अध्यक्षता में’ ही ईश्वर विहीनता तक सब कुछ घटित हो रहा है : यहाँ अकल्पनीय मोड़ हैं, अनजानी उलझनें हैं, अछूती आकस्मिकताएँ हैं। कवि का ईश्वर हालाँकि एक प्रश्नचिह्न की तरह है, पर वह हज़ारों-लाखों वर्ष पुरानी रचनाशीलता से लेकर कल आनेवाले प्रयत्नों तक फैला हुआ है। यह सब कहीं अधिक-से-अधिक भाषा और कहीं कम-से-कम भाषा में अभिव्यक्त होता है। दरअसल ये उस एक बड़े उलटफेर की कविताएँ हैं जो हमारे समाज में हर क्षण हो रहा है और कविता जिसे कभी-कभी पकड़कर नए अर्थों में प्रकाशित कर देती है। साठ के बाद की हिन्दी कविता में धूमिल के बाद जगूड़ी की रचनाशीलता ने एक नया प्रस्थान और परिवर्तन का बिन्दु बनाया था। उनकी कविता आधुनिक समय की जटिलता के बीचोबीच परम्परा की अनुगूँजों, स्मृतियों और स्वप्नों को भी सम्भव करती चलती है। ‘ईश्वर की अध्यक्षता में’ लीलाधर जगूड़ी का एक ऐसा कविता-संग्रह है जिसे पढ़ते हुए उनके पाठक जीवन की एक नई विपुलता का इतिवृत्त पाने के साथ-साथ आधुनिक बाज़ार और वैश्वीकरण से पैदा हुए अवरोध, अनुरोध और विरोध की प्रामाणिक आवाज़ भी सुन पाएँगे।<br/><br/>https://rajkamalprakashan.com/ishwar-ki-adhyakshata-mei.html
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name as entry element Hindi
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name as entry element Poetry
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme Dewey Decimal Classification
Item type Hindi Books
Holdings
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