Rukh = रुख (Record no. 57742)
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008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION | |
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9788126726387 |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 891.43009 |
Item number | NAR |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Narain, Kunwar |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Rukh = रुख |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Name of publisher, distributor, etc | Rajkamal Prakashan, |
Date of publication, distribution, etc | 2014. |
Place of publication, distribution, etc | New Delhi: |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | 127p.; |
Other physical details | pbk; |
Dimensions | 20cm. |
504 ## - BIBLIOGRAPHY, ETC. NOTE | |
Bibliography, etc | Includes authors introduction and list of criticize authors |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc | वरिष्ठ कवि कुँवर नारायण घनीभूत जीवन-विवेक सम्पन्न रचनाकार हैं। इस विवेक की आँख से वे कृतियों, व्यक्तियों, प्रवृत्तियों व निष्पत्तियों में कुछ ऐसा देख लेते हैं जो अन्यत्र दुर्लभ है। समय-समय पर उनके द्वारा लिखे गए लेख आदि इसका प्रमाण हैं। ‘रुख़’ कुँवर नारायण के गद्य की छठी पुस्तक है। पुस्तक के सम्पादक अनुराग वत्स के शब्दों में ‘पहला हिस्सा स्वभाव में समीक्षात्मक, दूसरा संस्मरणात्मक और वक़्त-वक़्त पर लिखी गई टिप्पणियों का है।’<br/><br/>कुँवर जी विभिन्न कृतियों को पढ़ते हुए समीक्षात्मक अभिव्यक्तियों के बहाने अपने तर्कों की जाँच करते हैं। उन पद्धतियों पर भी प्रकाश डालते हैं जिन पर चलकर किसी कविता, उपन्यास या आलोचना के अन्त:पाठ तक पहुँचा जा सकता है। अपने समकालीनों या सहयात्रियों पर कुँवर जी संकोच मिश्रित आत्मीयता के साथ लिखते हैं। संक्षिप्त किन्तु महत्त्वपूर्ण। यह भी कि संस्मरणशीलता के बीच में कई बार अनेक ज़रूरी सूत्र रेखांकित हो गए हैं। नामवर सिंह पर लिखते हुए वे कहते हैं, ‘साहित्य मुख्यत: राजनीतिक समाज नहीं है—कला और संस्कृति की दुनिया है। यह दुनिया बहुत बड़ी भी हो सकती है और बहुत संकुचित भी।<br/><br/>एक ऐसे समय में जब राजनीति की नैतिकता का ख़ुद का चेहरा विकृत हो चुका है, उसके संस्कारों की छाया साहित्य पर पड़ना शुभ लक्षण नहीं दीखता।’<br/><br/>छोटी टिप्पणियाँ आगे कहीं विस्तार से लिखने या बोलने के सूत्र सरीखे हैं। या, किसी को लिखे गए पत्र के हिस्से। ये टिप्पणियाँ कई बार चकित कर देती हैं। मर्म को छूती हुई। कृष्णा सोबती के लेखन पर कुँवर जी की टिप्पणी है, ‘कृष्णा सोबती के अन्दर अन्याय के ख़िलाफ़ खड़े होने की जो एक दृढ़ता और मज़बूती है, वह उनकी भाषा के लगभग चुनौती-भरे मुहावरे में प्रतिबिम्बित होती है।’<br/><br/>समग्रत: एक विशिष्ट भाषिक संस्कार में व्यक्त यह पुस्तक सन्दर्भित विषयों के साथ स्वयं कुँवर नारायण के अन्तर्मन को बूझने का अनूठा अवसर है।<br/><br/>https://rajkamalprakashan.com/rukh.html |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Hindi |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Literary criticism |
700 ## - ADDED ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Vats, Anurag |
Relator term | Editor |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Item type | Hindi Books |
Withdrawn status | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Collection code | Home library | Current library | Date acquired | Source of acquisition | Cost, normal purchase price | Full call number | Barcode | Date last seen | Copy number | Cost, replacement price | Koha item type |
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Dewey Decimal Classification | General | IIT Gandhinagar | IIT Gandhinagar | 16/11/2022 | Books India | 0.00 | 891.43009 NAR | 032164 | 16/11/2022 | 1 | 300.00 | Hindi Books |