Anviti - khand: 2 = अन्विति खण्ड - 2 (Record no. 57733)
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008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION | |
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9789388183499 |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 891.43009 |
Item number | NAR |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Narain, Kunwar |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Anviti - khand: 2 = अन्विति खण्ड - 2 |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Name of publisher, distributor, etc | Rajkamal Prakashan, |
Date of publication, distribution, etc | 2018. |
Place of publication, distribution, etc | New Delhi: |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | Vol. 2; 518p.; |
Other physical details | hbk; |
Dimensions | 23cm. |
504 ## - BIBLIOGRAPHY, ETC. NOTE | |
Bibliography, etc | Include authors introduction and English illustrations |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc | कुँवर नारायण हमारे समय के बड़े कवि हैं। यदि विश्व के कुछ चुनिन्दा कवियों की तालिका बनाई जाए तो उसमें निस्सन्देह उनका स्थान होगा। वे आधुनिक बोध और संवेदना के उन कवियों में हैं जिन्होंने सदैव कविता को मनुष्यता के आभरण के रूप में लिया है।<br/><br/>कुँवर नारायण का काव्य मानवीय गुणों का ही नहीं, मानवीय संस्कारों का काव्य है। कविता में उनका प्रवेश चक्रव्यूह से हुआ। अपने गठन में कलात्मक किन्तु दार्शनिक प्रतीतियों वाले इस संग्रह में जीवन की पेचीदगियों को कवि ने सलीक़े से उठाया है। ‘आत्मजयी’ की लगभग अधसदी के बाद ‘वाजश्रवा के बहाने’ की रचना बतौर कुँवर नारायण यह भी जताने के लिए है कि यदि ‘आत्मजयी’ में मृत्यु की ओर से जीवन को देखा गया है तो ‘वाजश्रवा के बहाने’ में जीवन की ओर से मृत्यु को देखने की एक कोशिश है। उनके इस कथन को हम इस रोशनी में देख सकते हैं कि सारा कुछ हमारे देखने के तरीक़े पर निर्भर है—कुछ ऐसे कि यह जीवन विवेक भी एक श्लोक की तरह सुगठित और अकाट्य हो।<br/><br/>उनके रचना-संसार पर समय-समय पर लिखा जाता रहा है। अनेक शोधार्थियों ने उनके व्यक्तित्व और साहित्य पर कार्य किया है। कहना न होगा कि कुँवर नारायण का कृतित्व बहुवस्तुस्पर्शी है। वर्ष 2002 से पहले तक उनके व्यक्तित्व एवं कृतियों पर लिखे महत्त्वपूर्ण लेख ‘उपस्थिति’ नामक संचयन में समाविष्ट हैं। उसके पश्चात् लिखे निबन्धों का यह संकलन दो खंडों में है : ‘अन्वय’ और ‘अन्विति’। ‘अन्विति’ उनकी कृतियों को केन्द्र में रखकर लिखे आलोचनात्मक निबन्धों का चयन है। इसमें हाल की कुछ प्रकाशित कृतियों को छोड़कर बाक़ी कृतियों पर लिखे लेखों को शामिल किया गया है जो उपस्थिति में सम्मिलित नहीं हैं। अधिकांश लेख 2015 तक के हैं जब कुँवर नारायण का प्रबन्ध-काव्य ‘कुमारजीव’ प्रकाशित हुआ।<br/><br/>आशा है, पाठकों को ये दोनों खंड उपयोगी और प्रासंगिक लगेंगे तथा कुँवर नारायण के साहित्य के प्रति रुचि विकसित करेंगे।<br/><br/>https://rajkamalprakashan.com/anviti-khand-2-hard-cover.html |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | HIndi literature |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Literary Criticism |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Item type | Hindi Books |
Withdrawn status | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Collection code | Home library | Current library | Date acquired | Source of acquisition | Cost, normal purchase price | Full call number | Barcode | Date last seen | Copy number | Cost, replacement price | Koha item type |
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Dewey Decimal Classification | General | IIT Gandhinagar | IIT Gandhinagar | 16/11/2022 | Books India | 0.00 | 891.43009 NAR | 032155 | 16/11/2022 | 1 | 1495.00 | Hindi Books |