Shuddha kavita ki khoj = शुद्ध कविता की खोज (Record no. 57671)
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008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION | |
fixed length control field | 221103b |||||||| |||| 00| 0 eng d |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9789389243871 |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 891.43371 |
Item number | DIN |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Dinkar, Ramdhari Singh |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Shuddha kavita ki khoj = शुद्ध कविता की खोज |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Name of publisher, distributor, etc | Lokbharti Paperbacks, |
Date of publication, distribution, etc | 2019 |
Place of publication, distribution, etc | Allahabad: |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | 295p. hbk; 20cm |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc | यह पुस्तक 19वीं सदी में यूरोप में नई कविता का जो प्रवर्तन हुआ, उस पर विचार-विमर्श की एक व्यापक ज़मीन तैयार करती है। साथ ही, उसके परिप्रेक्ष्य में भारतीय कविता के विकास-क्रम में शुद्धता का पैमाना क्या रहा, और क्या होना चाहिए, इस पर भी अपना गम्भीर चिन्तन प्रस्तुत करती है। इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि यह पुस्तक शुद्धतावादी आन्दोलन का एक दुर्लभ शोधपूर्ण इतिहास भी है और दस्तावेज़ भी।<br/><br/>दिनकर जी का मानना है कि नई कविता हमेशा शुद्ध कविता नहीं होती, न सभी श्रेष्ठ काव्य शुद्ध काव्य के उदाहरण होते हैं। फिर भी उन्हें लगता है कि शुद्धता को लक्ष्य मानकर चलने से काव्य का नया आन्दोलन समझ में कुछ ज़्यादा आता है। इसलिए उन्होंने ‘कविता और शुद्ध कविता’, ‘शुद्ध कविता का इतिहास—1’, ‘शुद्ध कविता का इतिहास—2’, ‘कविता में दुरूहता’, ‘शुद्ध काव्य की सीमाएँ’, ‘परिभाषाहीन विद्रोह’, ‘मनीषी और समाज’, ‘कला में व्यक्तित्व और चरित्र’, ‘कला का संन्यास’ और ‘साहित्य में आधुनिक बोध’ पाठों के ज़रिए जहाँ-तहाँ से सामग्रियाँ बटोरकर शुद्धतावादी आन्दोलन का इतिहास खड़ा किया है और कविता की अनेक समस्याओं पर अपने दृष्टिकोण से विचार किया है।<br/><br/>दिनकर जी ने अपनी यह किताब बीसवीं सदी के सातवें दशक में इस उद्देश्य से लिखी थी कि हिन्दी के जो लेखक, कवि और पाठक अंग्रेज़ी अथवा किसी अन्य विदेशी भाषा के द्वारा पाश्चात्य साहित्य के सीधे सम्पर्क में नहीं हैं, वे इसका लाभ उठा सकें, उनसे बातचीत का एक ठोस ज़रिया बनाया जा सके।<br/><br/>शुद्धतावाद के केन्द्र में लिखी गई यह पुस्तक अपने विशद विवेचन के कारण पचास साल बाद भी वही महत्त्व रखती है, जो उस समय रखती थी।<br/><br/>https://rajkamalprakashan.com/shuddha-kavita-ki-khoj.html<br/> |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Hindi Poetry |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Hindi Literature |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Item type | Hindi Books |
Withdrawn status | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Collection code | Home library | Current library | Date acquired | Source of acquisition | Cost, normal purchase price | Full call number | Barcode | Date last seen | Copy number | Cost, replacement price | Koha item type |
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Dewey Decimal Classification | General | IIT Gandhinagar | IIT Gandhinagar | 03/11/2022 | 1 | 0.00 | 891.43371 DIN | 032052 | 03/11/2022 | 1 | 299.00 | Hindi Books |