Akaal mein saaras = अकाल में सारस (Record no. 57620)

MARC details
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9788126707331
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number 891.43371
Item number SIN
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Singh, Kedarnath
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Akaal mein saaras = अकाल में सारस
250 ## - EDITION STATEMENT
Edition statement 9th ed.
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Name of publisher, distributor, etc Rajkamal Prakashan,
Date of publication, distribution, etc 1988.
Place of publication, distribution, etc New Delhi:
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 110p.:
Other physical details hbk:
Dimensions 22cm.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc केदारनाथ सिंह की कविताओं का संग्रह ‘अकाल में सारस’ आज की हिंदी कविता को एक सर्वथा नया मोड़ देने की सार्थक कोशिश है। इस संग्रह के साथ यह उम्मीद बनी रहेगी कि कविता अपनी जड़ों में ही फैलती है और उसी से प्राप्त ऊर्जा के बल पर वह अपने समय, परिवेश, आदमी के संघर्ष, प्रकृति में धडक़ती हुई जिजीविषा को उपयुक्त शब्द देने में कामयाब होती है। ‘अकाल में सारस’ में जनपदीय चेतना में रची-बसी भाषा की ऐन्द्रिकता, अर्थध्वनि, मूत्र्तता, गूँज और व्याप्ति को पहचानना उतना ही सहज है जितना साँस लेना! पर इस सहज पहचान में बहुत कुछ है जो उसी के जरिए जीवन की छिपी हुई या अधिक गहरी सच्चाइयों के प्रति उत्सुक बनाता है। एक तरह से देखें तो इन कविताओं की सरलता उस विडम्बनापूर्ण सरलता का उदाहरण है जो वस्तुओं में छिपे जीवन-मर्म को भेदकर देखने की अनोखी हिकमत कही जा सकती है। ‘अकाल में सारस’ में भाषा के प्रति अत्यन्त संवेदनशील तथा सक्रिय काव्यात्मक लगाव एक नए काव्य-प्रस्थान की सूचना देता है। भाषा के सार्थक और सशक्त उपयोग की सम्भावनाएँ खोजने और चरितार्थ करने की कोशिश केदार की कविता की खास अपनी और नई पहचान है। प्रगीतों की आत्मीयता, लोक-कथाओं की-सी सरलता और मुक्त छन्द के भीतर बातचीत की अर्थसघन लयात्मकता का सचेत इस्तेमाल करते हुए केदार ने अपने समय के धडक़ते हुए सच को जो भाषा दी है वह यथार्थ की तीखी समझ और संवेदना के बगैर अकल्पनीय है। केदार के यहाँ ऐसे शब्द कम नहीं हैं जो कविता के इतिहास में और जीवन के इस्तेमाल में लगभग भुला दिए गए हैं, पर जिन्हें कविता में रख-भर देने से सुदूर स्मृतियाँ जीवित वर्तमान में मूर्त हो उठती हैं। परती-पराठ, गली-चौराहे, देहरी-चौखट, नदी-रेत, दूब, सारस जैसे बोलते-बतियाते केदार के शब्द उदाहरण हैं कि उनकी पकड़ जितनी जीवन पर है उतनी ही कविता पर भी। ‘अकाल में सारस’ एक कठिन समय की त्रासदी के भीतर लगभग बेदम पड़ी जीवनाशक्ति को फिर से उपलब्ध और प्रगाढ़ बनाने के निरन्तर संघर्ष का फल है।.<br/><br/><br/>https://rajkamalprakashan.com/akaal-mein-saaras.html
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name as entry element Hindi poem
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name as entry element Hindi literature
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme Dewey Decimal Classification
Item type Hindi Books
Holdings
Withdrawn status Lost status Source of classification or shelving scheme Damaged status Not for loan Collection code Home library Current library Date acquired Source of acquisition Cost, normal purchase price Total Checkouts Full call number Barcode Date last seen Date last borrowed Copy number Cost, replacement price Koha item type
    Dewey Decimal Classification     General IIT Gandhinagar IIT Gandhinagar 09/02/2023 Himanshu Book 0.00 2 891.43371 SIN 032782 21/06/2023 16/05/2023 1 295.00 Hindi Books


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