Agyeya ki sampurna kahaniyan = अज्ञेय की संपूर्ण कहानियां (Record no. 31943)
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9788170280637 |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | 891.433 |
Item number | AGY |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Agyeya |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Agyeya ki sampurna kahaniyan = अज्ञेय की संपूर्ण कहानियां |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT) | |
Place of publication, distribution, etc | Delhi: |
Name of publisher, distributor, etc | Rajpal and Sons, |
Date of publication, distribution, etc | 2011. |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | 630p.; |
Dimensions | 24 cm. |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc | ‘मेरी कहानियां नयी हैं या पुरानी, इस चर्चा में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। हर साहित्य धीरे या जल्दी पुराना पड़ता है, कुछ पुराना पड़ कर फिर नया भी होता है, इस बारे में कुछ पहले भी कह चुका हूं। नयी-पुरानी की काल-सापेक्ष चर्चा में कहानी को उसके काल की अन्य कहानियों के संदर्भ में देखना चाहिए। उस समय वह कितनी नयी या पुरानी, पारंपरिक या प्रयोगशील थे...इससे आगे इतना-भर जोड़ना काफी है कि मैंने प्रयोग किये तो शिल्प के भी किये, भाषा के भी किये, रूपाकार के भी किये, वस्तुचयन के भी किये, काल की संरचना को लेकर भी किये लेकिन शब्द-मात्रा की व्यंजकता और सूचकता की एकान्त उपेक्षा कभी नहीं की।’’ - पुस्तक की भूमिका से 1978 में साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित हीरानन्द सच्चिदानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (7 मार्च 1911 - 4 अप्रैल 1987) बहुमुखी प्रतिभा के लेखक थे। उन्होंने कहानी, उपन्यास, कविता और आलोचना, सभी विधाओं में लिखा। उनकी विशेषता यह थी कि उन्होंने अपने लेखन में कई नये प्रयोग किये और इसी के लिए उन्हें जाना जाता है। लेखक के अतिरिक्त लम्बे अरसे तक वे नवभारत टाइम्स के सम्पादक भी रहे। उन्होंने साहित्यिक पत्रिका सप्तक और दिनमान की शुरुआत की। इसके अतिरिक्त अमेरिका, जर्मनी और भारत के कई विश्वविद्यालयों में उन्होंने अध्यापन का कार्य भी किया। 19 वर्ष की उम्र में वे भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े और दिल्ली कांस्परेंसी केस में गिरफ्तार किये गये। उन्हें तीन साल दिल्ली और मुल्तान की जेल में कैद रखा गया। कारावास के दौरान लिखी 18 कहानियों सहित उनकी 67 कहानियाँ इस पुस्तक में सम्मिलित हैं।<br/><br/><br/>https://www.rajpalpublishing.com/book.php?bookid=521 |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Hindi collection |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Hindi Literature |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name as entry element | Stories--Agyeya |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Item type | Books |
Withdrawn status | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Home library | Current library | Date acquired | Source of acquisition | Cost, normal purchase price | Total Checkouts | Full call number | Barcode | Date last seen | Date last borrowed | Koha item type |
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Dewey Decimal Classification | IIT Gandhinagar | IIT Gandhinagar | 10/09/2012 | Astha Book Agency | 400.00 | 4 | 891.433 AGY | 012383 | 21/06/2021 | 03/06/2021 | Hindi Books |