Jeevan kya jiya: bate kuch apni, kuch apno ki= जीवन क्या जिया: बाते कुछ अपनी, कुछ अपना की
Singh, Namvar
Jeevan kya jiya: bate kuch apni, kuch apno ki= जीवन क्या जिया: बाते कुछ अपनी, कुछ अपना की - New Delhi: Rajkamal Prakashan, 2021 - 365p.; hbk; 23cm.
Includes authors introduction
नामवर सिंह ने आत्मकथा नहीं लिखी, इसके बावजूद उनकी आत्मकथा अंशों में प्रकाशित होती रही। इस पुस्तक में उनके वाचिक के ऐसे अंशों को एकत्र और क्रमबद्ध किया गया है कि उसे व्यवस्थित रूप में पढ़ा जा सके। बचपन के दिनों से लेकर आखिर दिनों तक की सिलसिलेवार स्मृतियाँ पहले खंड में मौजूद हैं। विशिष्ट व्यक्तियों से जुड़ी स्मृतियों को दूसरे खंड में रखा गया है। नामवर जी के रोजमर्रा के जीवन को समझने के दृष्टिकोण से डायरी का एक अंश तीसरे खंड में प्रस्तुत है। डायरी के अतिरिक्त पूरी पुस्तक में कुल मिलाकर लिखित अंश दो ही हैं : ‘एक किताब पृथ्वीराज रासो : भाषा और साहित्य’ और ‘शमशेर से वह आखिरी मुलाकात’। शेष सभी ‘नामवर का वाचिक’ हैं। समय-समय पर दिये गए व्याख्यानों और साक्षात्कारों के अंशों को जोड़कर यह 'आत्मकथा' रची गई है। नामवर-कथा को जानने में दिलचस्पी रखनेवाले पाठकों को इसमें रुचि होगी। इस पुस्तक का शीर्षक मुक्तिबोध की सुविख्यात कविता
‘अँधेरे में’ की एक पंक्ति से लिया गया है। ‘अँधेरे में’ कविता के जिस अंश से यह पंक्ति ली गई है, उसका केन्द्रीय भाव मध्यवर्ग का आत्मलोचन है। नामवर जी अक्सर इस अंश का उपयोग अपनी बातचीत में किया करते थे। ‘तद्भव’ पत्रिका में प्रकाशित सुदीर्घ स्मृति-कथा का समापन भी उन्होंने इसी अंश से किया था।
https://rajkamalprakashan.com/jeevan-kya-jiya.html
9789390971534
Hindi
Biography
Namwar Singh
891.4309 / SIN
Jeevan kya jiya: bate kuch apni, kuch apno ki= जीवन क्या जिया: बाते कुछ अपनी, कुछ अपना की - New Delhi: Rajkamal Prakashan, 2021 - 365p.; hbk; 23cm.
Includes authors introduction
नामवर सिंह ने आत्मकथा नहीं लिखी, इसके बावजूद उनकी आत्मकथा अंशों में प्रकाशित होती रही। इस पुस्तक में उनके वाचिक के ऐसे अंशों को एकत्र और क्रमबद्ध किया गया है कि उसे व्यवस्थित रूप में पढ़ा जा सके। बचपन के दिनों से लेकर आखिर दिनों तक की सिलसिलेवार स्मृतियाँ पहले खंड में मौजूद हैं। विशिष्ट व्यक्तियों से जुड़ी स्मृतियों को दूसरे खंड में रखा गया है। नामवर जी के रोजमर्रा के जीवन को समझने के दृष्टिकोण से डायरी का एक अंश तीसरे खंड में प्रस्तुत है। डायरी के अतिरिक्त पूरी पुस्तक में कुल मिलाकर लिखित अंश दो ही हैं : ‘एक किताब पृथ्वीराज रासो : भाषा और साहित्य’ और ‘शमशेर से वह आखिरी मुलाकात’। शेष सभी ‘नामवर का वाचिक’ हैं। समय-समय पर दिये गए व्याख्यानों और साक्षात्कारों के अंशों को जोड़कर यह 'आत्मकथा' रची गई है। नामवर-कथा को जानने में दिलचस्पी रखनेवाले पाठकों को इसमें रुचि होगी। इस पुस्तक का शीर्षक मुक्तिबोध की सुविख्यात कविता
‘अँधेरे में’ की एक पंक्ति से लिया गया है। ‘अँधेरे में’ कविता के जिस अंश से यह पंक्ति ली गई है, उसका केन्द्रीय भाव मध्यवर्ग का आत्मलोचन है। नामवर जी अक्सर इस अंश का उपयोग अपनी बातचीत में किया करते थे। ‘तद्भव’ पत्रिका में प्रकाशित सुदीर्घ स्मृति-कथा का समापन भी उन्होंने इसी अंश से किया था।
https://rajkamalprakashan.com/jeevan-kya-jiya.html
9789390971534
Hindi
Biography
Namwar Singh
891.4309 / SIN